बुधवार, 10 मई 2023

मरने के बाद धन दौलत साथ ले जाने का तरीका मिल ही गया।


मरने के बाद अपनी धन दौलत साथ ले जाने का क्या कोई तरीका है?

अगर मेरी नजर से देखा तो शायद हा है.
श्री गुरु बाबा नीम करोली की किरपा से उनका दिया एक विचार जो आज मैं आपके साथ सांझा कर रहा हु।

अजीब है आज कल की दुनिया के लोग कितने चिंतित होते है की मरने के बाद हमारी धन दौलत का क्या होगा इतना पैसा कमाया सब यही छुट जाएगा कुछ साथ नहीं ले जा पाएंगे. 

लेकिन एक तरीका है:
परंतु लोगो की इस परेशानी का विचार करते करते इसका एक जवाब या वो तरीका कह लो जिससे ये सब कमाया हुआ धन साथ जा सके उसका तरीका पता चल गया, कुछ लोगो को शायद ये लगे की क्या पागल पंती है ऐसे कैसे हो सकता है लेकिन अगर ध्यान से गौर करोगे इस बात का तो शायद लगेगा ये तरीका तो कभी हमने सोचा ही नहीं और ये सही तरीका है।

तो ये रहा वो तरीका:
बोहोत से लोग विदेश घूमने जाते है शायद आप भी कभी न कभी विदेश घूमने जरूर गए होगे, तो ये सब देश से बाहर जाने वाले या घूमने जाने वाले एक काम जरूर करते है, ये इंडियन ₹ को जहा जाते वहा की धन राशि में कनवर्ट करवा लेते है जैसे की डॉलर, पॉन्ड्स, दिनार या अन्य कोई राशि जो वहा चलती हो, कहने का मतलब ये है की इंडिया के पैसे है वहा नहीं चलेंगे तो इसको किसी और रूम में लेके जाना ही सही है,

वैसे ही अगर मरने के बाद आपको अपने पैसे वहा ले जाने है जहा मरने के बाद भी एक अलग जीवन है तो आपको इन पैसे को पुण्य, अच्छे कर्म, में कनवर्ट करना ही होगा तभी आप इनको अपने साथ ले जा पाओगे क्योंकि वह अच्छे कर्म और पुण्य ही चलते है और मरने के बाद इंसान के अच्छे कर्म और यहां किए पुण्य ही साथ जा सकते है ये कागज़ के नोट वहा ना चलते है ना साथ जा सकते है।

अगर आपको श्री गुरु से परप्त ये भाव सही या अच्छा लगा हो तो और लोगो के साथ Share जरूर करे.
अगर आपका कोई भाव हो तो हमारे साथ Share करे हम उसको सबतक पोहोचनेमे जरूर सहयता करेगे. धन्यवाद🙏🏻

Ye Dolat sath tere na jayegi, Thodi jarurt mand ko bhi deta jaa, kaam uske bhi ayegi, Jab pet padega aan (खाना) uske dua inklegi man se uske, Wo dua hi tere waha kaam aayegi, Jaha ye dolat sath na tere jayegi...

बुधवार, 3 मई 2023

Steve Jobs- Baba Neemkaroli- स्टीव जॉब्स की मौत के बाद तकिए के नीचे बाबा की निशानी के बारे में जान कर हैरान हो जाएंगे आप।


नीम करौली बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स नाम शामिल है.

गुरू की तलाश में आए थे भारत:
एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत में परसिद्ध अध्यात्म दर्शन करने के लिए भारत आए थे. वह टूरिज्म के मकसद से भारत नहीं आए थे. वह अध्यात्मिक खोज में यहां आए थे जानने वाले कहते है उन्हें एक सच्चे गुरू की तलाश थी. 

बाबा की कथाएं सुनते थे जॉब्सइस :
स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए. यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा कुछ साल पहले ही समाधि ले चुके हैं पर फिरभी उन्होंने यह कुछ दिन बीता कर अध्यात्म के बारे में जाना इस बीच स्‍टीव पहाड़ों में पैदल घूमने लगे. इतना ही नहीं जॉब्‍स नीम करोली बाबा की कथाएं सुनने के साथ ध्‍यान भी करने लगे. सात महीनों तक भारत में घूमने के बाद वह वापस अमेरिका लौट गए और फिर उन्‍होंने ऐपल कंपनी बनाई.

Apple का logo बाबा की देन:
 कुछ मानने वाले तो यह भी कहते है कि स्टीव को अपनी कंपनी के लिए एप्पल के LOGO का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था. नीम करौली बाबा को फॉलो ने सेब बहुत पसंद थे यही वजह थी कि शायद स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना.

बता दें कि 5 अक्‍टूबर 2011 को स्‍टीव जॉब्‍स की कैंसर से मौत हो गई. कहा जाता है कि उनकी मौत के बाद उनके तकिए के नीचे से बाबा नीम करोली का छोटा सा फोटो मिला था.

सोमवार, 1 मई 2023

कैंची धाम मार्क जुकरबर्ग-Kainchi Dhan Mark Zuckerberg.

गुरु नीम करोली बाबा को मानने वाले भक्त केवल देश ही नहीं, बल्कि विदेशों के लोग भी हैं। उनमें से एक परसिद फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग भी बाबा के बहुत बड़े भक्त हैं।

एक इंटरव्यू के दौरान मार्क जुकरबर्ग का कहना था कि भारत के एक मंदिर में दर्शन करने के बाद उनकी किस्मत पूरी तरह से बदल गई थी और फेसबुक ने धीरे-धीरे नए कीर्तिमान स्थापित करना शुरू कर दिए। 
मोदी जी से साझा किया किस्सा
उन्होंने यह कहानी पहली बार 2015 में भारत के प्रधानमंत्री के साथ साझा की थी। उन्होंने बताया था कि वे फेसबुक को लेकर शुरुआती दिनों में काफी कठिनाइयों से गुजर रहे थे और वे इस कंपनी को बेचने पर भी विचार कर रहे थे। इस दौरान जुकरबर्ग कुछ सलाह लेने जॉब्स के पास गए, ऐसे में जॉब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाकर दर्शन करने की सलाह दी थी और वो मंदिर और कोई नही बाबा का परसिद आश्रम केंची धाम था
अब भी मार्क जुकरबर्ग बाबा के दर्शन उनके आश्रम आते रहते है।

एक महीने रहे Zuckerberg भारत में:
उन्होंने मुझसे कहा कि आपको एक बार भारत के इस मंदिर में जरूर जाना चाहिए। उनके कहने पर मैंने भी यहां आने का फैसला किया, जहां वो पहले आ चुके थे। फिर मैं यहां आया और लगभग एक महीने तक मैंने भारत का दौरा किया। इस देश के लोगों से मैं जुड़ा, यहां की हर चीज़ को महसूस करने का अवसर प्राप्त हुआ। उत्तराखंड के नैनीताल के पास स्थित कैंची में मौजूद नीम करोली साधु के आश्रम में काफी अच्छा समय बिताया था।

Neem Karoli Baba/नीम करोली अथवा केंची धाम वाले बाबा का जीवन परिचय

नीम करोली केंची धाम वाले बाबा का परिचय:
नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) को श्री राम के परम भक्त हनुमान जी का अवतार माना जाता है। महान संत होके भी यह बाबा आपको एक साधारण सा कंबल ओढ़े दिखाई देते हैं। भारत ही नहीं बल्कि विदेशी हस्तियां भी नीम करोली बाबा के भक्त है। बताया जाता है कि हनुमान जी के सच्चे भक्त नीम करोरी बाबा ने भारत सहित विदेशों में हनुमान जी के कुल 108 मंदिर बनवाए हैं। चलिए आज हम जानते हैं नीम करौली बाबा के जीवन परिचय के बारे में।

केसे पड़ा बाबा का नाम नीम करोली:

नीम करोली बाबा के बारे में कुछ किस्से सुनने को मिलते हैं। जिसमें से एक किस्सा उनके नाम से जुड़ा है, जिससे हमें पता चलता है कि नीम करोली बाबा नाम कैसे पड़ा। बता दे कि एक बार नीम करोली बाबा एक ट्रेन में फर्स्ट क्लास डब्बे में सफर कर रहे थे। जब ट्रेन मे टिकट चेकिंग के दौरान ट्रेन कर्मचारी द्वारा बाबा जी से टिकट दिखने को कहा गया, तो बाबाजी के पास कोई भी टिकट नहीं था। ट्रेन कर्मचारी के द्वारा नीम करौली गांव मे बाबा जी को ट्रेन से उतार दिया गया। जिसके बाद बाबा जी ट्रेन से उतर कर नीचे चिमटा गाड़ कर बैठ गए। उसके बाद ट्रेन वहा से आगे बड़ ही नहीं पा रही थी। ट्रेन का इंजन अपने आप जाम हो गया था। फिर पास में जब टिकट कलेक्टर को लोगो ने बताया, कि यह कोई आम बाबा जी नहीं है। यह ट्रेन तभी चल सकती है जब बाबा जी से माफी मांगी जाएगी। उसके बाद ट्रेन कर्मचारी के द्वारा बाबा जी से माफी मांगी गई। साथ ही उन्हें फर्स्ट क्लास के डिब्बे में फिर से बैठाया गया। बाबाजी के मानने से ट्रेन का इंजन ठीक हो गया और सभी लोगों ने बाबा जी को प्रणाम किया। इसी गांव जहां ये सब हुआ करोली के नाम से बाबाजी नीम करोली बाबा जी कहलाने लगे।

जन्म और माता पिता: गुरु देव नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) का जन्म लगभग 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ था। नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) का जन्म एक ब्राह्मण परिवार मे हुए। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा तथा माता का नाम लक्ष्मी नारायण था। बहुत छोटी उम्र 11 वर्ष में ही नीम करोली बाबा की शादी उनके माता पिता द्वारा करा दी गई थी।
बताया जाता है कि 1958 के आस पास बाबा ने घर परिवार का त्याग कर दिया था। उसके बाद बाबा संत की भांति इधर-उधर विचरण किया करते थे। नीम करोली बाबा द्वारा गुजरात के बवानिया मोरबी में तप साधना की गई थी। हालांकि तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त होने के बाद उन्होंने, भटके हुए लोगों को धर्म और ज्ञान का मार्ग बताना और उस पर चलना सिखाया। 10 सितंबर 1973 को वृंदावन में बाबा ने अपने देह का त्याग कर दिया था। कहा जाता है कि उसके बाद नीम करोली बाबा हनुमान जी में ही विलीन हो गए।


मरने के बाद धन दौलत साथ ले जाने का तरीका मिल ही गया।

मरने के बाद अपनी धन दौलत साथ ले जाने का क्या कोई तरीका है? अगर मेरी नजर से देखा तो शायद हा है. श्री गुरु बाबा नीम करोली की किरपा...